Saturday, July 30, 2011

दर्द

दर्द एक एहसास होता है, उसे अक्सर हम सेहते है…
और फिर उसकी दिल खोल के शिकायत भी किया करते है…
पर क्या ये दर्द हमेशा हि बुरा होता है?
या उस दर्द के पिछे कुछ अच्छा भी छुपा होता है?
हा…कभी कभी दर्द कुछ अच्छी बाते लेके आता है…
जब आता है तो अपनोको करीब और परायोको दूर कर देता है…
लोग दर्द में आपके साथ चलना शुरू करते है...
कुछ कदम आगे बढे नहीं की नसीहते देना शुरू करते है...
नसीहतो के सिलसिले दिनबदिन बढ़ने लगते है...
और उन्ही के साथ परायोसे फासले भी बढ़ने लगते है…
कुछ कदम बाद अपने भी थक जाते है…
वो हमे छोड़ते नहीं पर हम उनसे दूर चले जाते है…
राह पर और कोई नहीं होता बस हम ही हम होते है…
तनहाई में हम भी फिर दर्द के आसू रोते है…
पर यही तो असली बात है…
तनहाई में भी हमेशा दर्द आपके साथ होता है…
हस के वो कहता है “मत रो मेरे यार…मेरे आनेसे अक्सर ये होता है”…
साथ अगर हो अपनोका तो मंजिले आसन होती है…
फिर दर्द की भी गिनती हमारे अपनों में होती है…
उस दिनसे फिर दर्द के मायने बदल जाते है…
और फिर हम दर्द सहते नहीं हम दर्द जीते चले जाते है…

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